गरीबी और गुमनामी में बीत गया पूरा करियर, फिर 1 फिल्म ने बना दिया स्टार

मुंबई. साल था 1989 का और एक दिग्गज शायर और सॉन्ग राइटर बिस्तर पर अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था. सलमान खान की फिल्म 'मैंने प्यार किया' सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली थी. फिल्म रिलीज हुई और सुपरहिट रही. 'मैंने प्यार किया' फिल्म साल 1989 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही. इस फिल्म के पूरे 10 गानों ने धूम मचा दी. 'मेरे रंग में रंगने वाली', 'दिल दीवाना बिन सजना के माने ना', 'आजा शाम होने आई', 'कबूतर जा जा जा', 'कहे तो से सजना तोहरी सजनिया' जैसे सभी गाने मुंबई से लेकर गांव अंचलों तक गूंजने लगे. लेकिन इन गानों में अपनी कलम से जादू फूंकने वाला फकीर गीतकर अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था. गरीबी और गुमनामी में 40 साल बिताने के बाद जिंदगी को अलविदा कहने की आस में ये लिरिसिस्ट फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. लेकिन अफसोस गुर्बत में 40 साल काटने के बाद ये कलम का सिपाही अवॉर्ड लेने स्टेज पर नहीं जा सका.

गरीबी और गुमनामी में बीत गया पूरा करियर, फिर 1 फिल्म ने बना दिया स्टार
मुंबई. साल था 1989 का और एक दिग्गज शायर और सॉन्ग राइटर बिस्तर पर अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था. सलमान खान की फिल्म 'मैंने प्यार किया' सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली थी. फिल्म रिलीज हुई और सुपरहिट रही. 'मैंने प्यार किया' फिल्म साल 1989 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही. इस फिल्म के पूरे 10 गानों ने धूम मचा दी. 'मेरे रंग में रंगने वाली', 'दिल दीवाना बिन सजना के माने ना', 'आजा शाम होने आई', 'कबूतर जा जा जा', 'कहे तो से सजना तोहरी सजनिया' जैसे सभी गाने मुंबई से लेकर गांव अंचलों तक गूंजने लगे. लेकिन इन गानों में अपनी कलम से जादू फूंकने वाला फकीर गीतकर अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था. गरीबी और गुमनामी में 40 साल बिताने के बाद जिंदगी को अलविदा कहने की आस में ये लिरिसिस्ट फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. लेकिन अफसोस गुर्बत में 40 साल काटने के बाद ये कलम का सिपाही अवॉर्ड लेने स्टेज पर नहीं जा सका.